'छोटे नवाब 'से फ़िल्मी सफर शुरू करने वाले पंचम को पहला ब्रेक बतौर संगीतकार दिया उनके दोस्त और कॉमेडियन महमूद ने ! और इसी फिल्म में लता मंगेशकर ने पंचम के लिए गाया एक बेमिसाल गीत 'घर आजा घिर आये बदरा सांवरिया'...पर सफलता अभी थोड़ी से क़दम दूर थी जल्द ही मिली 'तीसरी क़सम' और फिल्म में एक अलग तरह का संगीत रच दिया हमारे पंचम ने !शुरुआत के दिनों में जो गीत काम्पोज करने में पंचम को काफी ख़ुशी महसूस हुई वो था 'ओ हसीना जुल्फों वाली जाने जहाँ .रफ़ी और आशा जी का युगल गीत जिसे खुद गाने से पहले रफ़ी साहब ने कहा था की इसे गाने के लिए कम से कम ३
-४ रिहर्सल तो ज़रूर करनी पड़ेगी !
-४ रिहर्सल तो ज़रूर करनी पड़ेगी !
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